डॉक्टरों को झटका, चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा से जुड़ा बिल ठंडे बस्ते में
सेहतराग टीम
इस साल पश्चिम बंगाल में कुछ मरीजों के परिजनों द्वारा दो सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ मारपीट किए जाने के बाद पूरे देश में डॉक्टरों के आंदोलन को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने घोषणा की थी कि डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के दोषियों को 10 साल तक की कैद की सजा दिलाने के लिए सरकार कानून बनाएगी। इसके लिए एक विधेयक तैयार भी कर लिया गया था और उसे संसद के इसी शीत सत्र में पेश किया जाना था मगर संसद सत्र का अवसान हो चुका है और ये विधेयक पेश नहीं हो पाया।
कहा जाता है कि डॉक्टरों एवं अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने के मकसद से स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार विधेयक को अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह कह कर इसे टाल दिया है कि इस संबंध में अलग से कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है।
स्वास्थ्य सेवा कर्मी एवं नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर प्रतिबंध) विधेयक, 2019 में उन लोगों के लिए 10 साल तक की कैद का प्रस्ताव दिया गया था जो ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ मारपीट करते हैं।
स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा पर लगाम लगाने के लिए समग्र केंद्रीय कानून की मांग ने उस वक्त जोर पकड़ लिया था जब ऐसे मामले और देश भर में नैदानिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने के मामले अचानक बढ़ गए थे।
सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ही यह विधेयक पेश करना चाहता था मगर ऐसा नहीं हो सका। सत्र 13 दिसंबर को समाप्त हो गया है। इस बारे में सेहतराग ने स्वास्थ्य मंत्रालय का पक्ष जानने का प्रयास किया मगर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
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